भारतीय पौराणिक लेखक नीलेश कुमार अग्रवाल द्वारा प्राचीन ग्रंथों की महत्वता

Date:

Share post:

भारतीय पौराणिक लेखक नीलेश कुमार अग्रवाल द्वारा प्राचीन ग्रंथों की महत्वता

भारतीय पौराणिक लेखक नीलेश कुमार अग्रवाल द्वारा प्राचीन ग्रंथों की महत्वता

अधर्मी मनुष्य चाहे कितनी भी कोशिश कर ले किन्तु वह हमारे प्राचीन ग्रंथों में मौजूद ज्ञान और ईश्वर की सच्चाई को, ना तो कभी मिटा सके थे और ना ही मिटा पाएंगे। हर युग में किसी ना किसी मनुष्य द्वारा इन प्राचीन ग्रंथों का ज्ञान लोगो तक पहुँचता रहेगा। कई विदेशी आक्रमणकारियों ने वर्षों तक हमारे ग्रंथों को मिटाने और उनमें बदलाव करने की कोशिश करी किन्तु उसमें विफल रहे, लेकिन जैसा की हिन्दू धर्म में लिखा है। “सत्य को ना तो बदला जा सकता है और ना ही मिटाया जा सकता है”।

आपको यह जानकार आश्चर्य होगा की केवल हिन्दू धर्म में ही ब्रह्मांड के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध है। हिन्दू धर्म एकलौता धर्म है जिसमें प्राचीन सभ्यता और संस्कृति के बारें में वर्णन मिलता है। हिन्दू धर्म के द्वारा ही मनुष्य यह समझ पाए की संसार में सभी संभावनाएं भारत से ही उत्पन्न हुई हैं और इसी के आधार पर और भी तथ्य सामने आते रहेंगे। केवल भारत के हिन्दू धर्म में ही सैकड़ों की संख्या में अमूल्य प्राचीन ग्रन्थ मौजूद है, जिसके आधार पर मनुष्य को ब्रह्मांड और समस्त मानव जीवन के कर्तव्यों और उद्देश्यों की जानकारी प्राप्त हुई है और होती रहेगी।

अगर आप इन ग्रंथों को पढ़े तो इनमें सूर्य से लेकर ब्रह्मांड के हर रहस्य के बारें में तथ्यात्मक रूप से जानकारी उपलब्ध कराई गयी है। कितने आश्चर्य की बात है की वह ग्रन्थ जो करीबन दस हज़ार सालों से भी ज़्यादा पुराने है उसमें पृथ्वी के गोल होने से लेकर, सूर्य के चक्कर लगाने तक के बारें में सभी जानकारी पहले से ही मौजूद हैं। यह बात तो स्पष्ट है की किसी ईश्वरीय शक्ति के द्वारा ही इन प्राचीन ग्रंथों का निर्माण किया गया है, अन्यथा इन बातो का जानना जैसे सूर्य और चंद्रमा के बीच की दूरी कितनी है? दूरी से संबंधित व्यास का एक सौ आठ गुना होना, जिस कारण सूर्य और चंद्रमा का पृथ्वी से एक ही आकार के दिखाई देते है वरना ऐसी सभी बातों का किसी इंसान द्वारा वर्णन असंभव है। पश्चिमी विज्ञान ने हमारे इन्ही प्राचीन ग्रंथों के आधार पर अपने-अपने तरीकों से कई सारी खोज की हैं। हमारे भारतीय धर्मग्रंथों और पुराणों में ऐसी कई प्रकार की जानकारियां आज भी मौजूद हैं जो पश्चिमी विज्ञान के लिए अभी तक रहस्य बनी हुई हैं।

पुराणों का अर्थ होता है, इतिहास। चाहे ‘महाभारत’ हो या ‘रामायण’ या ‘भागवत गीता’। इन सभी का निर्माण कई हज़ारों वर्षों पहले हो चुका था, जिसके तथ्य आज भी भारत की धरती पर मिल जाते है। इनमें अध्यात्म के साथ-साथ वंश, जाति, लोकतंत्र और भारत की भौगोलिक स्थिति और अलग-अलग प्रकार के युद्धों और युद्धकलाओं के बारे में विस्तृत जानकारी मौजूद है। विदेशी धर्म तो केवल पांच सौ साल पहले ही जान पाया था कि पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है। जबकि हमारे पुराणों में आज से दस हजार साल पहले ही ये बात बताई जा चुकी है कि पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगाती है। पश्चिमी वैज्ञानिकों ने खुद स्वीकार किया है की भारतीय ज्ञान और विज्ञान द्वारा ही, पिछले कुछ वर्षों के दौरान उनकी जबरदस्त तरीके से हुई प्रगति हुई है।

भारतीय पौराणिक लेखक नीलेश कुमार अग्रवाल द्वारा प्राचीन ग्रंथों की महत्वता

आज भी वामपंथी इतिहासकार और विदेशी लोग, रामायण और महाभारत जैसे महान ग्रंथों को केवल एक कहानी मानते हैं। रामायण और महाभारत काल के सबूत मिलने के बाद भी वह इस बात को स्वीकार करने से डरते है की, रामायण और महाभारत जैसे अनेको ग्रन्थ हमारे लिए ना सिर्फ ज्ञान का खजाना हैं बल्कि हिंदू धर्म का पारदर्शी और स्पष्ट इतिहास भी दर्शाते है। पुराणों में ब्रह्मांड के निर्माण और इसके विस्तार के बारे में सभी जानकारी मौजूद है और हमारी संस्कृति की झलक भी उनमें दिखाई देती हैं। यहाँ तक की हमारे पुराणों में ‘बिग बैंग‘ के सिद्धांत का भी वर्णन किया गया हैं। श्रीमद्भागवत महापुराण में भी यह लिखा गया है कि ‘ब्रह्मांड मात्र एक या दो, नहीं बल्कि असंख्य’ है। विदेशी धर्मों में तो पृथ्वी को मात्र साढ़े छह हज़ार साल पुराना ही बताया गई है। उनके अनुसार पृथ्वी को बने हुए अभी सिर्फ और सिर्फ साढ़े छह हज़ार साल ही हुए हैं। विदेशी धर्म इस पृथ्वी से परे नहीं देख पाते थे, क्यूंकि उनके पास इसकी कोई जानकारी नहीं थी। जबकि सनातन धर्म संपूर्ण पृथ्वी के साथ -साथ संपूर्ण ब्रह्मांड के रहस्यों की भी बात करता है।

बड़े दुःख की बात है की विदेशी लोगों की वजह से भारतीय मनुष्य अपने ही पुराणों के ज्ञान दूर होता जा रहा है। मैं अपने जीवन के अंतिम सांस तक भारतीय सभ्यता और प्राचीन ग्रंथों की महानता के बारें में लोगों को बताता रहूँगा।

Webstoriesindia पर पूरा लेख पढ़ें और हमें इंस्टाग्राम पर फॉलो करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

spot_img

Related articles

The Case for Integrative Medical Practice: Supporting AYUSH Systems Within Modern Healthcare Frameworks, Dr. Piyush Juneja, Founder Indianvaidyas & Ayuquo

The ongoing discourse surrounding medical boundaries for AYUSH (Ayurveda, Yoga & Naturopathy, Unani, Siddha and Homoeopathy) practitioners represents...

KGiSL Special Economic Zone crosses 50,925 Crore in Cumulative Exports.

COIMBATORE, TAMIL NADU KGiSL’s Special Economic Zone (SEZ) for Electronic Hardware and Software, including IT-enabled Services (ITeS),...

Harness the Power of Masalbet Online Casino for Big Wins

What could be considered the principal stimulus of a betting enthusiast intending to set up an account...

India’s Economic Outlook: Strong Growth, Easing Inflation, and New Consumer Confidence

India’s economy is defying global headwinds with a combination of robust growth, falling inflation, and a renewed...